संगठन एक विचार लेकर काम कर रहा है। संगठन ने बहुत कठिन समय पार कर लिया है। संगठन अनुकूल परिस्थितियों में काम कर रहा है। परन्तु अभी हमें बहुत कुछ हासिल करना है। दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश भारत तकनीक के सही उपयोग से सफलता के पग पर अग्रसर है। मल्टी पोलर वर्ल्ड में आज भारत एक बड़ी ताकत के रूप में जाना जाता है। बौद्विक रूप से समृद्व हमारा देश दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। दुनिया का कोई भी देष हमारे खिलाफ वितन्डावाद या विमर्श करने का साहस नही कर पा रहा है। यह बात विद्या भारतीय के क्षेत्रीय मंत्री प्रोफेसर जयप्रताप सिंह ने आज सरस्वती कंुज में तीन दिन से चल रहे प्रधानाचार्य सम्मेलन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त कही।
आज दुनिया में जहॉ महंगाई और बेहाली बढ़ी है वहॉ हमारा देश करोड़ों लोगो को फ्री राशन दे रहा है। विद्या भारती ने कोरोना काल में अपने स्कूलों में तकनीक का उचित प्रयोग करके शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाई है। प्रदेश के टाप टेन सूची के 253 बच्चों में से 53 बच्चे हमारे है। आन लाइन शिक्षा को समझ कर नई शिक्षा नीति के आलोक में अपने आपको अपडेट करना होगा। अधिक से अधिक विषयों के अच्छे वीडियों वर्जन से शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जाना चाहिए। बदलते हुए समय को हमे समझना होगा तथा इस चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा।
समापन समारोह में भारतीय षिक्षा समिति उ0प्र0 के मंत्री तथा लखनऊ विष्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ0 महेन्द्र कुमार जी ने यह बात कही। समाज में हमारी वैचारिक संस्थाओं के खिलाफ खड़े किये जा रहे विमर्श का उत्तर हमें ज्ञान, शील, विवेक और धैर्य के साथ देना होगा। विमर्श निर्माण में लगी हुई समाज विरोधी ताकतों का हम जवाब तभी दे सकते है जब हम अध्ययन करेंगे। चाहे वह कुरान पढ़नी हो अथवा बाइबिल पढ़नी पड़े। हमारे खिलाफ निर्माण किये जा रहे नये-नये विमर्श के प्रति हमे उदासीन नही अपितु चौकन्ना रहने की जरूरत है। हमारे वेदों में 72 जगहो पर ‘‘राष्ट्र’’ शब्द का प्रयोग किया गया है। जबकि आज के युग में हम इण्डिया शब्द लिखते है इसको बदलने की आवश्यकता है, इसके स्थान पर ‘‘भारत राष्ट्र’’ या ‘‘भारत’’ लिखना अच्छा रहेगा।
प्रदेश निरीक्षक श्रीमान रामजी सिंह ने अनुभवी देवदुर्लभ कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि विद्या भारती आपके अनुभवों के आलोक में आगे बढ़ रही है। इस ़ित्रदिवसीय प्रधानाचार्य सम्मेलन में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अधिकारियों का जो मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। उसे धरातल पर उतारना आपका ही काम है। बालक निर्माण आपके हाथों से होना है। इसलिए समाज में आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्ष भारतीय शिक्षा समिति श्री हरेन्द्र कुमार श्रीवास्त ने आये अतिथियों तथा प्रधानाचार्यों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. वाई .पी.सिंह ने किया तथा कार्यक्रम में, श्री जय प्रताप सिंह, श्री रामकृष्ण चतुर्वेदी, श्री दिनेश सिंह, श्री उमाशंकर मिश्र, डॉ. महेन्द्र कुमार, आर.के. कनौजिया, श्री हरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, आदि उपस्थित रहे।
“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “
“स्वामी विवेकानंद”
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