प्रधानाचार्य कार्य योजना बैठक दिनांक 18 से 21 मार्च 2024 तक अयोध्याजी में सम्पन्न हुई... Read more... |
अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा- 2024-25... Read more... |
प्रदेश में 8 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -12
स.वि.म.इ.का.शास्त्रीनगर, अम्बेडकरनगर
प्रदेश में 8 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -12
स.वि.म.इ.का. शास्त्रीनगर, अम्बेडकरनगर
प्रदेश में 9 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -10
स.वि.म.इ.का. लखपेडाबाग, बाराबंकी
प्रदेश में 7 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -12
आनन्दी देवी स.वि.म. नैपालापुर, सीतापुर
प्रदेश में 8 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -12
स.वि.म. गोलागोकर्णनाथ, लखीमपुर, खीरी,
प्रदेश में 6 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -10
सरस्वती बालिका विद्या मंदिर मालवीयनगर, गोण्डा
प्रदेश में 7 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -10
स.वि.म.एन.टी.पी.सी. ऊँचाहार, रायबरेली,
प्रदेश में 10 वां स्थान
यू ० पी ० बोर्ड परीक्षा -10
जुगुल किशोर स.वि.म. लहरपुर, सीतापुर
खेल-आधारित शिक्षा के माध्यम से युवा मनों को पोषित करना और सामाजिक, भावनात्मक, और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करना।
प्राथमिक विद्यालय शिक्षा में सतत शिक्षा और व्यक्तिगत विकास के लिए एक मजबूत नींव बनाना हमारा लक्ष्य हैं |
उच्च अध्ययन में उत्कृष्टता प्राप्त करने और आने वाले पेशेवर प्रयासों में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्रों को शिक्षित करना।
भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0’’ एक शैक्षणिक संस्था है। इसका कार्यालय सरस्वती कुंज परिसर, निरालानगर-लखनऊ में स्थित है। इसकी स्थापना 1972 में हुई थी। इसका पंजीयन सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 21 सन् 1960 के अन्तर्गत दिनांक 12.07.1972 में हुआ। तथा इसका पंजीकरण संख्या 381/72-73 है। इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण उ0प्र0 है। इस समिति का उद्देश्य अपनी स्मृति पत्र एवं नियमावली में स्पष्ट किया गया है। भारतीय शिक्षा समिति अपने पंजीकृत नियमावली के अनुसार संचालित होती है।
भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0 का कार्य इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जिसके द्वारा ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण हो सके...
“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “
“स्वामी विवेकानंद”
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