उन्नाव । स0वि0म0इ0का0 गोपीनाथपुरम शुक्लागंज में भगवान श्री महावीर स्वामी जी की जयंती पूरे हर्सोल्लास के साथ मनाई गई । प्रातः वन्दना सत्र में विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री श्रवण कुमार सिंह व वरिष्ठ आचार्य श्री शिव सिंह जी ने माँ सरस्वती जी व भगवान श्री महावीर स्वामी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किया व दीप प्रज्ज्वलित किया । इस अवसर पर विद्यालय के हिन्दी विषय के आचार्य श्री देशराज राजपूत जी ने महावीर स्वामी जी के जीवन पर विस्तार से सभी को उनके जीवन से परिचित कराया । उन्होंने बताया कि महावीर स्वामी जी 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद कैल्वय ज्ञान प्राप्त किया। एक संस्मरण बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बार दो हाथियों में द्वन्द छिण गया स्थिति यह हो गई कि दिनों ही लड़ते हुए गजशाला से बाहर निकल आये और जनता व उनके घर व खेतों को नष्ट करने लगे , यह बात जब महावीर स्वामी जी को पता लगी तो वे उस गज की तलाश में निकल पड़े ,और जब उनका आमना सामना हुआ तो वह गज स्वामी जी की ओर उनको मार डालने के उद्देश्य से झपटा किन्तु स्वामी जी शान्त भाव से एक स्थान पर खड़े रहे पास आकर गज एकदम शान्त हो गया तब स्वामी जी ने उस गज से कहा कि पिछले जन्म के कर्मों के कारण तुम पशु योनि में जन्मे हो और इस जन्म में ऐसे कर्म करके तुम सीधे नर्क में जाओगे क्या तुम यही चाहते ही , गज की आंखों से आंसू बह रहे थे और अब वह हिंसा को त्याग कर एक अहिंसक जीव बन गया था, लेकिन हम तो एक समझदार मानव हैं क्या यह प्रवृत्ति हम नहीं त्याग सकते और मानव ,पशु पक्षियों के हित के कार्य नहीं कर सकते , ऐसे थे भगवान महावीर स्वामी जी ।इस अवसर पर विद्यालय के सभी आचार्य व आचार्या बहिनें व भैया बहिन उपस्थित रहे ।कार्यक्रम के बाद प्रधानाचार्यजी ने सभी आचार्यों व भैया बहिनों को अग्रिम सूचनाएं दी और कार्यक्रम का समापन हुआ ।
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