मूल्यों, स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता, संस्कृति और देश के प्रति प्रेम के बारे में जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए। चार विभिन्न स्तरों पर संस्कार केन्द्रों की स्थापना इसी योजना का अंग है:
ये सांस्कृतिक केंद्र लड़कों और लड़कियों के लिए सांस्कृतिक विकास की शिक्षा और व्यवस्था प्रदान करते हैं। इसके अलावा, अनौपचारिक और संवादात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से उनके माता-पिता और परिवार के सदस्यों के बीच भी स्वस्थ, सुसंस्कृत, व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के बारे में जागरूकता पैदा की जाती है।
“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “
“स्वामी विवेकानंद”
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