विद्या भारती के आरम्भ होने से पहले भी हमारे बहुत से छात्रों ने हमारे विद्यालयों से शिक्षा ग्रहण करके समाज में विशिष्ट स्थानों को प्राप्त किया है। उन पुराने विद्यार्थियों के साथ अच्छे सम्बन्ध एवं तारतम्य स्थापित करने के लिए पूर्व छात्र परिषद का गठन विद्यालय एवं राज्य स्तर पर किया गया। ये पुराने छात्र अपने विद्यालयों के लिए न केवल आर्थिक अनुदान जुटाते हैं अपितु विद्यालय के शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने एवं निर्माण के कार्य में भी अपना योगदान देते हैं। इन परिषदों के माध्यम से लाखों पुराने छात्र समाज की सेवा के प्रकल्प चला रहे हैं पूर्व छात्र परिषद के सम्मेलन प्रतिवर्ष विद्यालय राज्य एवं क्षेत्र स्तर पर होते हैं।
“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “
“स्वामी विवेकानंद”
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