विद्या भारती द्वारा निर्धारित वार्षिक गीत सत्र 2023-24
माध्यमिक कक्षाओं हेतु | प्राथमिक कक्षाओं | संस्कृत गीत - भूपाली (ताल कहरवा) राग |
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जग में सुन्दर देश हमारा, इसकी छटा है सबसे प्यारी । वीर भूमि यह धीर भूमि यह, इसकी महिमा सबसे न्यारी ।। ईश्वर मानव बनकर आये, राम-कृष्ण का रूप बनाये धर्म स्थापना करने जग में, सुन्दर-सुन्दर खेल रचाये उनके कामों की सुगन्ध से, महकी धरती की हर क्यारी ।। जग में सुन्दर.. | सरस्वती के पावन आँगन की,हम गुन्जित किलकारी । भारत भाल सजाने वाले,नन्हीं-नन्हीं फुलवारी ।। सात स्वरों से साज सजाकर,राज दिलों पर करते हैं। नटखट चाल-चलन बोली से,सबके मन में रहते हैं ।। मातु पिता गुरु आज्ञा पालन,श्रद्धा सेवा धारी। भारत भाल सजाने.शेखर, बोस, जोरावर जैसे देश धर्म के सेनानी ।राष्ट्र की रक्षा पर बलि जाएं सूर वीर हम बलिदानी ।।रोम-रोम में देश की सेवा, की निकले चिनगारी ।भारत भाल सजाने. ऊँच-नीच का भेद मिटाकरआगे बढ़ते जायेंगे। हिल-मिल कर सब काम करेंगेअपना धर्म निभायेंगे ।। वैभव होगा भारत माँ काहम लें जिम्मेदारी । भारत भाल सजाने।। | राष्ट्र भक्तिं करणीयम् ।देश हितं आचरणीयम् ।। सन्मार्गे नित चलनीयम्।मातृ हितं शुभ करणीयम् ।। श्रेष्ठ जनाः आदरणीयम् ।सतगुरु शरणम् गमनीयम् ।। सत्यं वचनं वदनीयम् ।प्रगति पथे नित चलनीयम् । राष्ट्र भक्तिं करणीयम् ।देश हितं आचरणीयम् ।। सन्मार्गे नित चलनीयम् ।मातृ हितं शुभ करणीयम् ।। ऋषि मुनि धरणी सुखनीयम् ।परोपकारम् करणीयम् ।। प्रतिदिन प्रभु स्मरणीयम् ।लोक हितं आचरणीयम् राष्ट्र भक्तिं करणीयम् ।देश हितं आचरणीयम् ।। सन्मार्गे नित चलनीयम् ।मातृ हितं शुभ करणीयम् ।। |
“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “
“स्वामी विवेकानंद”
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