यह देश प्रेम का वास्तविक स्वरूप है। भारत वर्ष में बहुराष्ट्रीय संगठनों ने पूर्व के कुछ वर्षों में अपना आधिपत्य बहुत सुदृढ़ कर दिया है। ये हमारी राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था को ग्रहण लगा रही हैं। हमारा देश तीव्रता से आर्थिक पराधीनता की ओर बढ़ रहा है। इन राष्ट्र विरोधी आर्थिक शक्तियों के विरोध में विद्या भारती स्वदेशी जागरण मंच के नाम से विभिन्न कार्यक्रम करती है।
इस कार्यक्रम के द्वारा छात्रों शिक्षकों एवं अभिभावकों को विशुद्ध भारतीय कम्पनियों द्वारा बनाई गई वस्तुओं के उपयोग की शिक्षा दी जाती है एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा बनाए उत्पादों के विरोध की प्रेरणा देते हैं। स्वदेशी वस्तुओं एवं उत्पादों की सूची बनाई गई है कुछ विद्यालयों में ऐसे उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था भी की जाती है जिसमें लाभांश को नहीं लिया जाता।
विद्या भारती ने स्वदेशी को एक अनिवार्य विषय के रूप में अपने विद्यालयों में आरम्भ किया है प्रत्येक विद्यालय में स्वदेशी सप्ताह मनाया जाता है।
“ईश्वर ही ईश्वर की उपलब्थि कर सकता है। सभी जीवंत ईश्वर हैं–इस भाव से सब को देखो। मनुष्य का अध्ययन करो, मनुष्य ही जीवन्त काव्य है। जगत में जितने ईसा या बुद्ध हुए हैं, सभी हमारी ज्योति से ज्योतिष्मान हैं। इस ज्योति को छोड़ देने पर ये सब हमारे लिए और अधिक जीवित नहीं रह सकेंगे, मर जाएंगे। तुम अपनी आत्मा के ऊपर स्थिर रहो। “
“स्वामी विवेकानंद”
© Bhartiya Shiksha Samiti, U.P, Awadh Prant. All Rights Reserved.